आधुनिक जगत के श्रेष्ठ साहित्यकार-हीरो वाधवानी

●श्रेष्ठ साहित्यकार का गुण व जीवन●

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 21 Oct, 2021 | 1 min read
Suktiyan Suktikar The best quotes writer Hiro wadhwani Hiro wadhwani

भारत देश के अजमेर की धरती पर ५ अप्रैल १९५२ को जन्मे हीरो वाधवानी जी आधुनिक जगत के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों में एक हैं। वर्तमान में इनका स्थायी पता भीलवाड़ा है। इनके संदर्भ में कुछ भी लिख पाना शायद सूर्य को दीपक दिखलाने जैसा ही होगा। पर आज उनके संदर्भ में उनकी रचनाओं की सुंदरता के संदर्भ में आपको रुबरु करवाने का प्रयत्न करूंगा। एक आदर्श लेखक के तमाम गुण मौजूद हैं इनके अंदर। साथ ही इनका व्यवहार विचार अनुकरणीय है।


सबसे अलग है इनका विचार- सादा जीवन उच्च विचार के कथन को चरितार्थ करती है इनकी ज़िंदगी। दिखावे से मीलों दूर रहते हैं पर हाँ लोगों की मदद हेतु करते रहते हैं निरंतर प्रयत्न। सफलता के शीर्ष पर आसीन होने के बावजूद भी इनके अंदर विनम्रता की खान है,जो इनको बाकियों से अलग बनाती है।


अपनी पुस्तक निःशुल्क आदर्श पाठकों तक पहुंचाना- अपनी अनमोल सूक्तियों की पुस्तक की प्रति उन पाठकों तक ये निःशुल्क भेंट करते हैं जो सचमुच पुस्तक प्रेमी हैं,कुछ अच्छा पढ़ना चाहते हैं। और वे पाठक जो इनकी पुस्तक अध्ययन करते हैं ,उन पाठकों को पुस्तक अध्ययन मात्र से जो सुकून मिलता है वह अकथनीय है। इनकी पुस्तक की खास विशेषता यह है कि चंद शब्द में लिखी हुई बात को पढ़ने मात्र से ही आप इनके लेखन पढ़ने के मुरीद हो जाएंगे।


साहित्य की विविध विधाओं में लिखने का कौशल- गद्य की विविध विधाओं में भी इनकी कलम की पकड़ मजबूत है। इनकी लिखी सूक्तियाँ पाठकों के हृदय को स्पर्श करने में सफल हैं। सूक्तियां पढ़ते ही पाठक सह लेखक का प्रसन्न हो जाना स्वाभाविक है। इनकी सूक्तियों के फैन देश के विभिन्न हिस्सों के लोग सहित विदेश के लोग भी हैं।



लेखक के साथ-साथ आदर्श पाठक की भूमिका में भी- जीवन से प्राप्त अनुभवों से सूक्तियां सृजन करते रहने के अलावा यह एक अच्छे पाठक भी हैं। दूसरे रचनाकारों की पुस्तकें क्रय कर पढ़ना सह साहित्यक प्लेटफार्म पर रचनाकारों की रचनाओं का अध्ययन करते रहना भी इनका विशेष गुण है। साथ ही नवोदित रचनाकारों का उत्साहवर्धन भी करते रहते हैं हीरो वाधवानी जी।



इनकी लिखी कुछ सूक्तियाँ आज आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ जिसे पढ़कर आप भी इनकी लेखनी के मुरीद हो जाएंगे यह पूर्ण विश्वास है।



माँ व पिता के गुणों का वर्णन करते हुए हीरो वाधवानी जी लिखते हैं कि "माँ शहद व पिता मिश्री है।" है ना सचमुच चंद शब्द में गहरी बात,इनकी लेखनी में यही खासियत है। इनकी सूक्तियां पाठकों के मन मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ती हैं।


हीरो वाधवानी जी लिखते हैं कि "लड़खड़ाने वाले का घर भी लड़खड़ाता है।" इस एक वाक्य में विशेष बात समाहित है।


घर में कलह उत्पन्न होने से रिश्तों की डोर कमज़ोर होती है यह सच है, इस बात को अपनी सूक्ति के माध्यम से व्यक्त करते हुए कहते हैं कि "घर का लड़ाई-झगड़ा नींव के पत्थर को भी हिला देता है।"


परिवार में मिलजुलकर रहने से ईश्वर भी प्रसन्न रहते हैं घर आँगन में भी रौनक रखती है, यह बिल्कुल सत्य है। इसीलिए हीरो वाधवानी जी लिखते हैं कि "मिलजुलकर रहने वाला परिवार हरे-भरे बगीचे की तरह होता है।"


हँसने के फ़ायदे की ओर संकेत करते हुए अपनी सूक्ति में हीरो वाधवानी जी लिखते हैं कि "कुछ बीमारियाँ न चलने और न हँसने के कारण होती हैं।"


आलस सबसे बड़ा शत्रु है, इस कथन की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए हीरो वाधवानी जी लिखते हैं "आलस्य सफलता और समय का दुश्मन है।"



मैंने तो महज उनकी छः सूक्तियाँ यहाँ प्रेषित की है, यदि आप उनकी अन्य सूक्तियों को भी पढ़ेंगे तो यकीनन आपको परमानंद की अनुभूति होगी साथ ही आप यह महसूस कर पाएंगे कि हीरो वाधवानी जी के अंदर आदर्श लेखक के तमाम गुण निहित हैं। जिसे हम समस्त लेखक परिवार को आत्मसात करना चाहिए।



धन्यवाद!


©कुमार संदीप




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