बेबसी

आज भी कुछेक निर्धन परिवार में धीरज जैसे बेबस बालक हैं, जो बेबसी के शिकार हैं इसके जिम्मेदारी कहीं न कहीं सत्ता की कुर्सी पर आसीन जनप्रतिनिधि भी हैं।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 14 Aug, 2022 | 1 min read
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स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पूर्व दिन में ही धीरज ने अपने पुराने मटमैले पोशाक को अच्छे से धोकर रख लिया था, कल विद्यालय में पहन कर जाने के लिए। रात्रि में बारिश आई फूस की छत थी पानी टपकने से धोया हुआ कपड़ा पूरी तरह भींग गया। सुबह उठकर धीरज माथे पर हाथ रखकर ख़ुद को और अपनी गरीबी को कोस रहा था तभी नेता जी की गाड़ी तेज़ रफ़्तार में जय हिंद का नारा लगाते हुए वहाँ से गुज़र रही थी, गाड़ी में लगे तिरंगे को देखकर तिरंगा लेने की चाहत से धीरज गाड़ी की ओर दौरने लगा। 



©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित,अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

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  • CHARU RISHI MEHRA · 1 year ago last edited 1 year ago

    Very nice Sandeep...la truth told... जीवन... मिलता तो है, पर हर को अलग। कितना रंगीन, वोह आपकी सोच तय करेगी। All the best👍💯

  • Kumar Sandeep · 1 year ago last edited 1 year ago

    धन्यवाद मैम

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