मैं अपनी ख़ुशी की परवाह नहीं करती हूँ
हर पल परिवार के विषय में सोचती हूँ
परिवार की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है शामिल
हाँ, मैं एक नारी हूँ
अपना सर्वस्व परिवार के खातिर अर्पित करती हूँ।।
सड़क किनारे व गली मुहल्लों में इंसान के रुप में
जो हैं दानव वो तीखी नज़रों से देखते हैं मुझे
नहीं जानते हैं वे आज की नारी कमज़ोर नहीं है
हाँ, शायद उन्हें ज्ञात नहीं कि
नारी सबक सिखलाने की क्षमता रखती है पापियों को।।
नारी की महिमा का वर्णन शब्दों में संभव नहीं है
नारी की शख़्सियत सचमुच अतुलनीय है
फिर भी पता नहीं क्यों आज भी नारी को
नहीं दिया जाता है उचित मान व सम्मान
हाँ, नारी को उचित मान व सम्मान मिलना ही चाहिए।।
जानती हूँ मैं लाख करूँ बयां अपनी शख़्सियत
पर कुछ मानव रुपी दानव को नहीं समझ आएगी
कि नारी होती है साक्षात देवी का स्वरूप
हाँ, नारी के साथ दुर्व्यवहार करना, प्रताड़ित करना
मानव रूपी दानव को ले जाएगा असमम मृत्यु के द्वार।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
ये अच्छी बात है कि आप संवेदनशील होकर इस विषय पर सोचते हैं..
जी हृदय से आभार आपका मैम
बेहतरीन
धन्यवाद माँ
Please Login or Create a free account to comment.