यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते

बलात्कार एक जघन्य अपराध है।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 11 Oct, 2020 | 1 min read
How to stop rape Rape

आज आलेख की शुरुआत मैं संस्कृत के एक श्लोक के साथ करना चाहूंगा, "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"। इस श्लोक का भावार्थ है जहाँ नारियों की पूजा की जाती है वहीं पर देवता भी निवास करते हैं। जहाँ नारियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, नारियों को प्रताड़ित किया जाता है वहाँ देवता कभी भी निवास नहीं करते हैं। जहाँ नारियों को अपमानित किया जाता है प्रताड़ित किया जाता है वहाँ अच्छे कार्य करने से भी सफलता नहीं मिल सकती। पर यदि आप आज के समय की ओर आज के लोगों की ओर हम दृष्टि डालेंगे तो पाएंगे कि आज इस श्लोक को आज के इंसान द्वारा ग़लत साबित किया जा रहा है। 


आज के समय के कुछ इंसान ऐसे हैं जिनके अंदर इंसानियत का प्रतिशत कम और हैवानियत का प्रतिशत सर्वाधिक है। ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि हर दिन आप भी देखते होंगे तमाम न्यूज़ चैनलों पर, समाचारपत्रों में नारी के साद दुष्कर्म की ख़बरें प्रकाशित होती हैं। शायद आपके लिए हमारे लिए वो महज एक ख़बर हो पर असल में नारी के साथ दुष्कर्म की ख़बर नारी को प्रताड़ित करने की वो महज ख़बर नहीं होती बल्कि पीड़ित परिवार व पीड़िता का जीवन पूर्णतः समाप्त हो जाने की कहानी होती है। 


बलात्कार जैसे घनघोर अपराध करने वालों को शायद इंसान कहना बिल्कुल अनुचित होगा। क्योंकि एक इंसान ऐसा जघन्य अपराध कतई नहीं कर सकता। बलात्कारियों को जीने का कोई हक नहीं है। इस धरा पर जब तक नारी के साथ दुष्कर्म करने वाले पापी मौजूद रहेंगे तब तक अनहोनी ही घटित होगी धरा पर। पापियों को सबक सिखलाने के लिए हमारी सरकारों को कड़े कानून लागू करने की ज़रूरत है। पापी के मन में एक पल के लिए भी नारी के साथ ग़लत व्यवहार करने का ख़्याल भी न आए इसलिए सरकार को कड़े कानून लागू करना चाहिए। 


बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को रोकने का एकमात्र यही तरीका है बलात्कारियों को सबक सिखलाना। और हमें ख़ुद भी जागरूक होना पड़ेगा। इस जघन्य अपराध को रोकने के लिए हमें ख़ुद भी ठोस कदम उठाना पड़ेगा। तभी जाकर इस अपराध से हम इस समाज को मुक्त कर पाएंगे।


बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को रोकने के लिए हम कुछ प्रयास ज़रूर कर सकते हैं, जैसे--


अपनी बेटी व बहन को अच्छे संस्कार- अभिभावकों का यह कर्तव्य है कि वह अपनी बेटियों को अपनी बहन को अच्छे संस्कार दे। ताकि वह सही और ग़लत के बीच के भेद को समझ सके। बुरे लोगों के बुरे बर्ताव को भाँप कर सतर्क हो सके। 


अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि- कभी-कभी सड़क किनारे, बसों में, रेलवे स्टेशनों पर बहन बेटियों के साथ दुर्व्यवहार करते नज़र आ ही जाते हैं कुछ मनचले। पर, हम अक्सर उनकी हरकतों को नज़रअंदाज़ कर गंतव्य की ओर जाने के लिए निकल जाते हैं। उस मनचले को सबक सिखलाने के बजाए हम वहाँ से निकल जाते हैं। क्योंकि वह हमारी अपनी बेटी, अपनी बहन नहीं होती है। यह भावना बिल्कुल ग़लत है। अपनी बहन अपनी बेटी की सुरक्षा तक ही आप सीमित न रहें, दूसरों की बहन,बेटी की सुरक्षा के लिए आप प्रयत्न करें। तभी असल मायने में हम बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। यदि मनचलों को समय रहते हम सबक नहीं सिखलाएंगे तो आज दूसरों की बहन, बेटी के साथ पापी दुर्व्यवहार कर रहे हैं और कल आपके परिवार की बहन,बेटी के साथ करेंगे।


जहाँ कहीं भी कुछ ग़लत होते देखें- बहन,बेटियों के साथ जहाँ कहीं भी नाइंसाफी होते देखें अपने स्तर से उनकी रक्षा के लिए प्रयास ज़रूर करें। अपराधी को सबक सिखलाने का हर संभव प्रयास करें। ग़लत देखकर मुँह मोड़ लेना व ग़लत सहना दोनों बहुत बड़ा अपराध है। बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को रोकने के लिए हमें ख़ुद भी जागरूक होना पड़ेगा। 


बेटी, बहन को आत्मसुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करवाएं- ऐसे कई इंस्टीट्यूट है जहाँ बेटियों को मनचलों से लड़ने के लिए उन्हें सबक सिखलाने के लिए ट्रैनिंग दी जाती है। वहाँ पर अपनी बेटी,बहन को अवश्य ट्रेनिंग के लिए भेजे। मुश्किल घड़ी में बेटी ख़ुद की सुरक्षा स्वयं कर सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम ऐसे इंस्टीट्यूट में उसका दाखिला करवाएं जहाँ उसे मुश्किलों से लड़ने का अध्याय पढ़ाया जाता हो। 


बलात्कार जैसा जघन्य अपराध जड़ से समाप्त हो जाए इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम सब मिलकर इस अपराध से निपटने का उपाय ढूंढे। अन्यथा नारी के साथ यदि यूं ही ग़लत होता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब संपूर्ण सृष्टि का सर्वनाश हो जाएगा।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    bahut badiya article

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दी

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बढिया 👍

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद मैम

  • Niranjan Kumar · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत ही अच्छा।

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद सर

  • Resmi Sharma (Nikki ) · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया लिखा

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद🙏🏻

  • Praveen Miss · 3 years ago last edited 3 years ago

    Awesome article

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