गलतफहमी को मन में पनपे मत दीजिए!

गलतफहमी की दीवार को तोड़ दीजिए:--: Article-06 Topic-रिश्तों की डोर

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 12 May, 2020 | 1 min read

हम सभी को पता है कि रिश्ते बनने में अधिक समय लगता है। पर टूटने में अधिक समय की ज़रूरत नहीं। एक पल में रिश्ते टूट जाते हैं। रिश्तों की डोर पूर्व में बेशक मजबूत रही हो पर एक गलतफहमी बरसों से कायम रिश्तों को तोड़ सकती है। इसलिए यह अति आवश्यक है रिश्तों में दरार उत्पन्न हो इससे पूर्व ही गलतफहमी की दीवार को तोड़ दी जाए।

मन में गलत धारणा पनपे ही मत दीजिए:- मन बड़ा ही चंचल स्वभाव को होता है। एक बार यदि मन में गलत धारणा परिवार के किसी भी सदस्य के प्रति यदि पनप गई तो दूरियाँ बढ़नी निश्चित है। इसलिए यथासंभव प्रयास कीजिए कि मन में गलत धारणा उत्पन्न हो ही न। कुछ बातों को नजरअंदाज कर दीजिए। तभी रिश्ते हमेशा ही अटूट रहेंगे।

भावन समझने का प्रयत्न कीजिए:- केवल अपनी ही बात बर गौर मत कीजिए। परिवार के अन्य सदस्यों की भावना भी समझिये। कई बार ऐसा भी होता है कि हम केवल अपनी बात पर भी जिद्दी की तरह डटे रहते हैं। दूसरों की भावनाओं की कद्र ही नहीं करते हैं। ऐसा करना कतई उचित नहीं है। दूसरों की भावना को यदि समझकर हम निर्णय लेते हैं तो यह तय है कि गलतफहमी की दीवार टूट जाएगी।

एक बात याद रखिये यदि वक्त रहते गलतफहमियों को दूर न की जाए तो एक वक्त ऐसा आता है जब रिश्तों में दूरियाँ बढ़ जाती है। इसलिए रिश्तों की डोर रहे मजबूत इसलिए प्रयास कीजिए गलतफहमीयों को दूर करने की।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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