आज विश्व कविता दिवस के पावन दिन के उपलक्ष्य पर हम इस आलेख द्वारा आपको कविता के महत्व को बताने का प्रयत्न करेंगे।आज हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार एक कविता हमें आगे बढ़ने के लिए हमें कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है किस प्रकार हमारी ज़िंदगी में अहम रोल निभाती है।
जब एक कवि अपने जीवन के हर पड़ाव पर दुख ही दुख झेलता है तब वह अपनी भावनाओं को अपनी कलम से कागजों पर उकेरकर अपने दर्द को व्यक्त करता है तो कलमबद्ध की गई सृजन को कविता कहते हैं।ऐसा मेरा मानना है।
कविता की परिभाषा शब्दों में व्यक्त कर पाना सरल नहीं है।पर कई सुप्रसिद्ध साहित्यकारों ने कविता को विभिन्न रुपों में परिभाषित किया है।किसी साहित्यकार के अनुसार कविता का "क" कल्पना है कविता का "वि" विचार है और कविता का "ता" तालमेल है।कल्पना और विचार के तालमेल से जो चीज़ हमारे समक्ष प्रस्तुत होती है उसे कविता कहते हैं। और अन्य साहित्यकारों ने भी कविता की परिभाषा विभिन्न रुपों में प्रस्तुत की है।
अपने विचार को ज़िंदगी से मिले अनुभवों को ज़िंदगी से मिले दर्द को एक काव्य रचनाकार अपनी कविताओं में बखूबी वर्णन करता है।वक्त-वक्त पर एक रचनाकार अपनी कविताओं के माध्यम से समाज की सच्चाई और बेसहारों के दर्द को बयां करता है।जब-जब सत्ता के भूखे लोग जनता के मन को मोहित करने का षड्यंत्र रचते हैं तब-तब एक काव्य रचनाकार अपनी कविताओं के माध्यम से जनता को जागरूक करने का प्रयत्न करता है।और सत्ता के भूखे लोगों को आईना दिखाने का कार्य करता है।
निराश और मायूस चेहरे पर मुस्कान बिखरने का कार्य करती है काव्य रचनाकारों की कविताएँ।जब इंसान ज़िंदगी से मिले दर्द और दुख से परेशान होकर थककर हारकर बैठ जाता है तो उस वक्त उसके अंदर सकारात्मक विचारों का प्रवाह करने में एक कविता की अहम भूमिका होती है।कविता पढ़कर,सुनकर उस शख़्स के भीतर प्रेरणा मिलती है और वह फिर से मुश्किलों से लड़ने के लिए आगे बढ़ने का प्रण लेता है।तो यह कहना सर्वथा अनुचित न होगा कि एक कविता में बहुत बड़ी ताकत है जो आलसी को भी परिश्रमी बनाने का साहस रखती है।और परिश्रमी को और अधिक उपलब्धि दिलाने की।
©कुमार संदीपमौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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