डागडर रामू जी भाग-2

असफलता से सीख

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 15 Jul, 2021 | 1 min read
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2014 में बारहवीं की परीक्षा में 74% अंकों से उतीर्ण हो गया पर रामू ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट में विफल रहा। प्रशांत को याद है कैसे रामू फूट-फूट कर रोया था। अब क्या करेगा रामू ,क्या पढाई छोड़ देगा, क्या उसे भी कपड़े की रंगाई करनी होगी ।यह सब सोंच भारी मन से रामू घर पहुंचा ।किस मुँह से रामू कहे कि वह फेल हो गया पर माँ ने भाँप लिया।मां दिलासा देने लगी पर उनमें भी हिम्मत नहीं थी और ना ही आर्थिक स्थिति इतनीअच्छी थी कि रामू को फिर से तैयारी को कहे ।


इधर प्रशांत कोटा के एक मशहूर कोचिंग में दाखिल हो गया जहां से हर वर्ष टॉपर्स निकलते थे।2014 से 2015 तक रामू ने घर पर ही रह कड़ी मेहनत की । साथ ही उसने कोचिंग में पढ़ाना शुरू किया।पढ़ाने से भी आदमी कई चीजें सीखता है।कुछ पैसे भी बनने लगे थे ।तैयारी जारी थी इंट्रेंस रूपी युद्ध के लिए।


2015 में होने वाली मेडिकल टेस्ट निरस्त कर दी गयी । रामू की परीक्षा अच्छी गई थी । शायद परीक्षा पास भी कर जाता। पर परीक्षा के प्रश्न -पत्र लीक हो गए थे । कितने सारे छात्र -अभिभावक पकड़े गए थे । रामू के सपने पर मानो ग्रहण लग गया था ।रही- सही कसर पिताजी की सांस लेने में दिक्कत ने पूरी कर दी ।इस बार रामू बस क्वालीफाई करके रह गया । मेडिकल कॉलेज की सीट नहीं मिल पाई । प्रशांत तो लाखों में रैंक लिए घर वापस आया।



कई बार मेहनत करनी से नहीं होता ,सही दिशा में प्रयास ही सफलता दिलाती है। अब क्या करेगा रामू , तैयारी छोड़ दे , सपना तोड़ दे ।। नहीं, नहीं एक बार और। कहते ही हैं मेडिकल इंट्रेन्स की तैयारी पंचवर्षीय योजना जैसी होती है । पर तैयारी कहाँ से करे ?


पिताजी की बीमारी भी अब ठीक हो गयी थी ।अब क्या करें?

कुछ तो खास होगा बड़े शहरों में ऐसा सोंच रामू ने भी कोटा जाने की तैयारी की और अपने साथ एक वर्ष की जमा राशि ले ट्रेन से रवाना हुआ । माँ ने आँचल के खूंट में बांधें पांच सौ के दो नोट उसके जेब मे डाल दिये । ये वही नोट थे जो माँ ने चायपत्ती के डब्बे में साड़ी खरीदने के लिए जमा किये थे। रामू का मन किया कि रुपये लौटा दे, पर क्या पता ये रुपये भी काम में आ जाये। ये सोंचते हुए उसने रुपये वापस नहीं किये। माँ अपने आँचल से आँसू पोछ रही थी। ऐसा करुण दृश्य। रामू का दिल भी भर आया।



क्रमशः अगले अंक में.........


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