खुशियों के मायने

मेरी खुशी मेरे हाथों में

Originally published in hi
Reactions 2
645
Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 13 Jun, 2020 | 1 min read

रिया ने पार्क जाने की जिद की तो थोड़ा मन बहल जाएगा सोच कर नेहा भी तैयार हो गई। पार्क में बहुत से बच्चे खेल रहे थे रिया भी अपने दोस्तो के साथ खेलने में व्यस्त हो गई।

बच्चो के सामने ही बेंच पर एक बुर्जुग जो लगभग पैसठ-सत्तर साल के होंगे बच्चो को देख कर बार बार मुस्कुरा रहे थे। नेहा उन्हें बहुत देर तक देखती रही फिर उत्सुकतावश पूछ बैठी "आप अक्सर यहाँ बैठे रहते है?" उनके उत्तर पर नेहा को आश्चर्य हुआ। न तो उनका कोई नाती पोता उन बच्चो में था न तो वो किसी के साथ आते थे बल्कि बच्चो को आपस में खेलते-कूदते, लड़ते झगड़ते एवं किलकारिया करते देख उन्हें आनंद आता था इसलिए वो अक्सर वहां आते थे।

नेहा सोचने लगी कि इतनी छोटी छोटी बाते भी किसी के जीवन में खुशियां ला सकती है, सुनकर विश्वास नहीं होता। फिर मुझे क्या गम है। एक अच्छा पति है, फूल सी बेटी है, घर परिवार सभी तो है फिर मैं क्यों दुःखी रहती हु। सच तो यह है कि अपने घर और काम में सामजस्य न बैठा पाना ही मेरी उदासी का कारण है जिसे मेरे अलावा और कोई दूर नहीं कर सकता।

"मम्मी चलो सब दोस्त चले गए अंधेरा होने वाला है" रिया ने नेहा का ध्यान तोड़ा।

नेहा खुश रहने का रहस्य जान चुकी थी। खुश रहने के लिए किसी बहाने या कारण की जरूरत नहीं होती बल्कि अपने खुशियों की चाबी अपने हाथ में होती है। छोटी छोटी बातों में ही खुशियां होती है। अगले दिन नेहा सबका टिफिन बनाते बनाते गुनगुनाए जा रही थी....

हँसते हँसते कट जाए रस्ते, जिंदगी यू ही चलती रहे, खुशी मिले या गम बदलेंगे न हम, दुनिया चाहे बदलती रहे..........

आज नेहा एक अलग ही ताजगी और स्फूर्ति महसूस कर रही थी क्योंकि उसका मन अंदर से खुश था। रिया और रमेश भी उसके सुर में सुर मिलाने लगे।

दोस्तों, लोग अक्सर सुख और शांति की अपेक्षा तो करते हैं, लेकिन अपने भीतर उसकी खोज नहीं करते। जीवन की वास्तविक खुशियां छोटी छोटी बातों में ही होती है। मेरी रचना पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें, आप चाहें तो मुझे फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

धन्यवाद

@बबिता कुशवाहा

2 likes

Published By

Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    संदेशप्रद सृजन दी

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद🙏

  • Shah طالب अहमद · 3 years ago last edited 3 years ago

    This is inspiration story , very true ....

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thankyou bhai @shahtalib

Please Login or Create a free account to comment.