सपनों का राजकुमार

एक काल्पनिक कहानी

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 16 Jun, 2021 | 1 min read
Fiction love Romance Marriage

"और कितनी बार कहुँ माँ मुझें अभी शादी नहीं करनी आप पापा को मनाती क्यों नहीं" गुस्से में चीखती नंदनी माँ राधिका से कह रहीं थी।


"अभी नहीं करनी या राघव से नहीं करनी, आखिर क्या बुराई है राघव में? इतना अच्छा लड़का तो हमारे पूरे खानदान में भी न मिलेगा। साफ साफ कह देती हूं तेरी शादी राघव से ही होगी बस।" कहती हुई राधिका ने मुँह फेर लिया।


नंदनी करती भी तो क्या करती। अब उसके हाथ में कुछ नहीं था। पर मन में राघव के लिए गुस्सा और बढ़ गया था। जब से पता चला कि राघव के परिवार ने उसे बहु बनाने के लिए स्वीकार कर लिया है तभी से उसका मन बेचैन सा था। वह चाहती थी कि राघव खुद ही शादी के लिए मना कर दे। पर किससे कहें, कैसे कहें? राघव से तो मिली भी नही है अभी तक। गुस्से में खुद ने ही तो मिलने से मना कर दिया था कि जब घरवालों ने फैसला कर ही लिया है तो मेरे मिलने या न मिलने से क्या फर्क पड़ता है?


एमबीए करने की इच्छा अब इच्छा ही रहने वाली थी। कितनी मेहनत करके उसने प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की थी और न जाने कहां से यह रिश्ता आ गया नंदनी पढ़ना चाहती थी पर पिताजी सामने से आया इतना अच्छा रिश्ता हाथ से नही जाने देना चाहते थे। पहली नजर में ही राघव के परिवार को नंदनी भा गई।


देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया। बेमन से नंदनी शादी की रस्मों में व्यस्त थी। घर मेहमानों से भरा था पर नंदनी के मन में अलग ही खालीपन था। बारात दरवाजे पर आ चुकी थी। हाथों में भर भर चूड़ियां, काले बालो से झांकता सफ़ेद फूलों का गजरा, गोल्डन स्टोन में सुंदर सा नैकलेस, और गुलाबी लहंगे में नंदनी बहुत खूबसूरत लग रही थी। राधिका ने नजर का टीका लगाते हुए उसकी नजर उतारी और सखियों से घिरी नंदनी स्टेज की ओर बढ़ गई।


राघव की नजरे तो नंदनी के चेहरे से तब तक नही हटी जब तक दोस्तों ने उसे छेड़ते हुए मजबूर न कर दिया। राघव जितना खुश और मुस्कान लिए था नंदनी उतनी ही उदास। एक-एक रस्म नंदनी को राघव की ओर ले जा रही थीं। गले में बाह डालकर राघव ने नंदनी की मांग भी भर दी। अब नंदनी सदा के लिए राघव की हो गई थी।


ससुराल पहुँचते ही गाड़ी से जहाँ तक नजर पहुँच रहीं थी ढ़ोल, नगाड़े के साथ दोनो ओर से स्वागत हो रहा था। गाड़ी से बाहर कदम रखते ही पैर नर्म फूलों पर जा पड़ा। बहु रानी के स्वागत में पूरे आँगन फूलों से सजाया गया था। एक-एक कदम नंदनी के लिए भारी था पर इतना भव्य स्वागत देख वह खुद समझ नही पा रही थीं कि उसे क्या हो रहा है।


दरवाजे पर सासु माँ आरती की थाली लिए उसी का इंतजार कर रही थीं। वर-वधु को आशीर्वाद देने के बाद सासूमाँ ने प्यार से नंदनी की बालाएं ली।

सभी रस्मों के बाद कोई उसे कमरें तक छोड़ आया जहाँ राघव पहले से ही उसके इंतजार कर रहा था।


"खड़ी क्यों हो, बैठ जाओ" राघव ने कहा पर नंदनी ने कोई जवाब न दिया


"घर कैसा लगा" राघव ने फिर बात करने का प्रयास किया


"शादी कर ली तो कोई जंग नही जीत ली तुमनें, मैं तुमसे प्यार नहीं करती" आक्रोश में नंदिनी झल्ला उठी


"अच्छा तो किससे प्यार करती हो" राघव अभी भी शांत था


"वो मैं तुम्हें क्यों बताऊँ, मैं पढ़ना चाहती थीं पर तुमनें मेरे सभी अरमानों पर पानी फेर दिया"


"किसने कहा कि शादी के बाद तुम पढ़ नही सकती। तुम अब भी अपनी एमबीए की पढ़ाई कर सकती हो।"


"ये सब कहने की बातें होती है, एक बार घर गृहस्थी में पड़ जाओ तो काहे की पढ़ाई और काहे का एमबीए।" कहतें कहते नंदनी की आंखों से आँसू गालों पर लुढ़क आये।


तभी राघव ने रुमाल आगे बड़ा दिया।

"ज्यादा अच्छे बनने की कोशिश मत करो"


"नहीं करूंगा पर ये रुमाल तो ले लो वरना तुम्हारा मेकअप खराब हो जाएगा"


नंदनी ने सकुचाते हुए रुमाल ले लिया। तभी उसकी नजर रुमाल पर बने N पर जा पड़ी।

"ये तो मेरा रुमाल है ये तुम्हारे पास कैसे" आश्चर्य से नंदनी ने कहा तो राघव मुस्कुरा दिया


आठ साल हो गए उस बात को जब नंदनी अपनी बुआ के यहाँ से घर लौट रहीं थीं। तभी उस लड़के से मुलाकात हुई थीं। साँवला रंग, काली आँखे और सुंदर कद काठी के उस लड़के की औऱ नंदनी आकर्षित सी हो गई थी।


सिर्फ लड़के ही नहीं लड़किया भी किसी की ओर आकर्षित हो सकती है और वहीं नंदनी के साथ हुआ इधर उधर से उसकी नजर उसी लड़के की ओर जाती जो उसके ठीक सामने वाली सीट पर था। कुछ घण्टों का सफर एक दूजे से नजरें मिलाने और चुराने में ही गुजर गया।


उस दिन यह रूमाल कहीं खो गया था तो क्या राघव.... एक बार नजरें घुमा नंदनी ने राघव को गौर से देखा। धुंधला सा हुआ चेहरा अब आंखों के सामने था। अपने गुस्से और जिद में उसने राघव को अब तक ठीक से देखा भी नहीं था।

नंदनी कुछ बोलती उससे पहले ही राघव बोल पड़ा..

"हाँ जी मैं वही मुसाफिर हु"


नंदनी के चेहरे का गुस्सा अब शर्म में बदल रहा था। "सच कहूं तो जब मेरी मौसी ने तुम्हारी फ़ोटो दिखाई तो मैं खुद को रोक ही नहीं पाया औऱ तुरंत शादी के लिए हां कर दी। मुझें तो अब भी यकीन ही नहीं है कि हमारी शादी हो गई है और तुम मेरे सामने हो।"


"नंदनी अभी भी आश्चर्य हो राघव की बातें सुन रही थी। सच कहा है जोड़ियां ऊपर से ही बनकर आती है। नंदनी के मन का गुस्सा अब प्यार में बदल रहा था। राघव ही तो उसके सपनों का राजकुमार है। एक ही दिन में नंदनी को उस लड़के से प्यार हो गया था। तभी से सोचती थी कि मेरे सपनों का राजकुमार बिल्कुल ऐसा ही होगा पर ईश्वर ने तो उसी लड़के को उसका राजकुमार, उसका जीवनसाथी बना दिया था।


शर्म से लाल हुई नंदनी चुपचाप सोफे पर बैठ गई। मन की खुशी चेहरे पर साफ झलक रहीं थी। अब वो तैयार थीं प्रेम के रंग में रंगने के लिए।


मेरी कहानी पसन्द आये तो लाइक, कमेंट, शेयर करना न भूलें। धन्यवाद


@बबिता कुशवाहा


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Babita Kushwaha

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत प्यारी

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