लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है..

बारिश में प्यार से पहली मुलाकात

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 16 Jul, 2020 | 0 mins read
Relationship Rainy season Family love

"लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है...." पतिदेव हाथ मे चाय की ट्रे लेकर गुनगुनाते हुए कमरे में आये।

"क्या बात है आज तो बड़े मुड़ में लग रहे जनाब" मैंने अपनी फाइल बंद करते हुए कहा

"अरे जरा बाहर तो देखो कितना सुहाना मौसम और सावन की पहली बारिश" कहते हुए पतिदेव ने खिड़की के परदे हटा दिए।

मुझे बारिश शुरू से ही बहुत पसन्द थी। बादलों की काली घटाओं के बीच ठंडी हवा का झोंका, झूमते हुए पेड़, मिट्टी की सौंधी खुशबू। मेरे लिए तो ये सावन लाखों का नही बल्कि बहुमूल्य ही होता था। सावन की बारिश से मेरी बहुत सी यादें जुड़ी है और इन्हीं यादों में से एक है वह दिन।

केशव मेरा पहला और आखिरी प्यार है। हम दोनों के घरों में मिलो की दूरी होने के बाद भी हमारे दिल बहुत करीब थे। केशव का दूसरे शहर में होने के कारण हमारा मिलना मुमकिन नहीं था। हम दोनों के प्यार की कड़ी सिर्फ मोबाइल ही हुआ करता था। क्योंकि केशव का बार बार घर से बहाना बना कर मुझसे मिलने आ पाना सम्भव नहीं था पर प्यार मे जाने क्या क्या नही करना पड़ता केशव के कई बार बोलने पर ऐसे ही उस दिन हमारे मिलने का दिन निश्चित हुआ। आज सुबह से ही काली घटाओं ने बादलो पर कब्जा कर रखा था। पर मैं तो अपने ही सपनो में खोई थी। आज पहली बार घर से बाहर केशव से मिलने की खुशी मेरे चेहरे पर साफ झलक रही थी इससे पहले तो हम हमेशा किसी पारिवारिक विवाह या फैमिली फंक्शन में ही मिले थे। मैं केशव की पसन्द का नीले रंग का सूट पहन कर तैयार ही हुई की पापा की आवाज कानों में गूँजी।

"अखबार में आया है कि शहर में आज भारी बारिश हो सकती है मौसम भी पानी का हो रहा है आज तू कॉलेज मत जा"

हाय जाऊँगी नही तो केशव से कैसे मिलूँगी। मैंने बहाना बनाते हुए पापा से कहा

"पापा आज तो मेरा केमेस्ट्री का प्रैक्टिकल है कॉलेज जाना बहुत ही जरूरी है"

क्या करूँ पापा से झूठ बोलना तो नही चाहा था पर ये प्यार होता ही ऐसा है जिसमे कुछ गलत और सही नही होता। पहली बार पापा से झूठ बोला था पर मैं करती भी क्या?? खैर पापा को तो बोल दिया पर बार बार ईश्वर से यही प्राथर्ना कर रही थी कि हे प्रभु मेरे घर से निकलने से पहले बारिश मत होने देना। झट पट तैयार हो कर आखिर निकल ही गई घर से। पापा ने बस स्टॉप तक मुझे छोड़ दिया और थोड़ी देर में बस भी आ गई पापा ने मुझे बस में बैठाया और लौट गए। केशव पहले से ही मेरा इंतजार कर रहा था। आज बस की रफ्तार भी बहुत धीमी लग रही थी। मन तो चाह रहा था कि पंख लगा कर उड़ते हुए केशव के पास पहुँच जाऊँ। खैर मेरे पास बस में चुपचाप बैठे रहने के अलावा कोई चारा नही था। लगभग 45 मिनट बाद बस न्यू मार्केट पहुँच चुकी थी। मैं बस से जैसे ही उतरी केशव से मेरी नजरे जा टकराई।

तभी एकदम से तेज बारिश की फुहारे हमारे ऊपर पड़ने लगी। हम दौड़ते हुए पास में एक शॉप के बाहर लगे शेड में आकर खड़े हो गए। आस पास बहुत से लोग शेड़ के नीचे खड़े थे। बारिश बढ़ती ही जा रही थी। ऐसी बारिश में कही जा भी नही सकते थे। दोनों ने ही यह तय किया कि कही दूर जाने के बजाय न्यू मार्केट में ही दिन बिताएंगे। छाते का सहारा लेकर केशव ने रंगमहल टॉकीज में बॉडीगार्ड मूवी की टिकेट्स खरीद ली तीन घन्टे तो ऐसे ही निकल गए फिर पास के रेस्टोरेंट में खाना खाया। लागतार तेज बारिश से सड़कों पर पानी भर चला था। शाम भी हो चली थी अब मुझे वापिस जाना था और वह समय भी आ गया जब हम फिर बिछड़ने वाले थे। हम बस स्टॉप पहुँच चुके थे जहाँ मुझे और केशव को दो विपरीत दिशाओं में जुदा होना था। दुःखी मन से मैं खिड़की से केशव को हाथ हिलाते रही जब तक वह ओझल नही हो गया। खुद पर नजर डाली तो सिर के बाल छोड़ कर मैं पूरी भीग चुकी थी हाथ मे पकड़े छाते पर नजर गई ओह्ह जिस छाते के सहारे हम दोनों के सिर बचे रहे वह तो मेरे पास ही रह गया। पर अब केशव के पास सिर बचाने के लिए कुछ भी नही था।

पर कौन जानता था कि सुबह से हो रही बारिश का तूफान तो अब आने वाला है। जब घर पहुँचते ही माँ और पापा को गुस्से में पाया। बिना कुछ सवाल किए पापा का एक जोरदार चाटा गाल पर जड़ चुका था।

"मैं कॉलेज गया था सोचा कि तेज बारिश हो रही है तो गाड़ी से ले आता हूं पर वहाँ पहुँच कर पता चला कि तुम तो आज कॉलेज गई ही नही न ही कोई तुम्हारा आज प्रैक्टिकल था फिर सारा दिन कहा थी"

शर्मिंदगी से मेरी नजरें झुकी थी मेरा झूट पकड़ा जा चुका था। बोलने की कोशिश तो की पर शब्द होंठो तक नही आ पा रहे थे। पापा के चाटे ने प्यार और बारिश दोनों का भूत उतार दिया था।

"आखिर कहा थी दिनभर बता क्यों नही देती" माँ ने कहा

अब कुछ छुपने वाला नही है आखिर बता ही दिया कि केशव के साथ थी। पहली मुलाकात में ही हमारे प्यार से पर्दा उठ चुका था। पापा ने भी तुरंत केशव को फोन लगा दिया। केशव भी जो वापिस जाने के लिए स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहा था पापा का फोन आते ही एक घन्टे में घर पहुँच गया। इस बीच घर मे सन्नटा पसरा था जिसे केशव ने ही तोड़ा। खैर पापा हमारे रिश्ते को मान तो गए पर उनकी एक शर्त थी कि केशव की अगर सरकारी नोकरी लगती है तभी वह शादी के लिए रजामंदी देंगे।

उसके बाद भी हमारा मिलना 5 सालो तक ऐसे ही चलता रहा पर फिर कभी हम पकड़े नही गए। क्योंकि अब हम बहाने बनाने में एक्सपर्ट हो गए थे। केशव की भी एम.बी.ए. करने के बाद सरकारी नोकरी लग गई। आज हमारी शादी को 4 साल हो गए। पर उस दिन की बारिश और घर से पहली बार झूट बोलकर केशव से मिलना आज भी याद है।

"हैलो मैडम! कहा खो गई चाय तो पूरी ठंडी कर दी तुमने" केशव की आवाज से मैं फिर वर्तमान में लौट आई। केशव अभी भी वही गाना गुनगुना रहा है। लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है........

दोस्तों मेरी कहानी पसंद आये तो लाइक कंमेंट जरूर कीजिये। धन्यवाद

स्वरचित, अप्रकाशित

©बबिता कुशवाहा














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Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Savita vishal patel · 3 years ago last edited 3 years ago

    Waah bahut achhi hai apki story

  • Sushma Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह प्यारी सी रिमझिम कहानी 💝💝

  • Moumita Bagchi · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत प्यारी सी कहानी है, बबीता जी। बारिश की रिमझिम फुहारों की तरह ही सुखदायी🥰😍❤

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद @savita @sushma ji @moumita ji

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुंदर कथा दी

  • Richa Anand · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut hi sunder..

  • Shubha Pathak · 3 years ago last edited 3 years ago

    Beautiful story dear👌😘

  • Radha Gupta Patwari 'Vrindavani' · 3 years ago last edited 3 years ago

    Really ....Real story

  • Ektakocharrelan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bhuat sunder

  • डाॅ मधु कश्यप · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुन्दर

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wah ji 😊

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद आपके सभी के कमेंट पढ़ कर और प्रोत्साहन मिलता है

  • Neha Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    Very nice 💐💐

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanku @neha ji

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुन्दर.. 😍👍

  • Pragati tripathi · 3 years ago last edited 3 years ago

    Very nice 👌

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    आप सभी ने मेरी कहानी पढ़ी और अपने विचार दिए सभी का बहुत बहुत धन्यवाद

  • Varsha Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह Love bird

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया वर्षा जी

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