पेपरविफ़ का साथ

पेपरविफ़ के साथ कुछ यादगार लम्हों के सफर की कहानी।

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 25 Mar, 2021 | 1 min read
Happy moments Memories Memories with paperwiff

पेपरविफ़ परिवार को मेरा प्यार भरा नमस्कार,

आज मैं पेपरविफ़ और अपने सफर के बारे में बताने जा रहीं हूँ। किसी एक मेमोरी को बेस्ट बताना मेरे लिए बेईमानी होंगी क्योंकि पेपरविफ़ के साथ हर मेमोरी ही यादगार है। एक लेखक के रूप में पेपरविफ़ के साथ एक साल का सफर आज पूरा हो गया है क्योंकि आज के ही दिन ठीक एक साल पहले पेपरविफ़ के मंच पर मैंने अपना नाम सुनहरे अक्षरो में देखा था। इस एक साल के सफर में जो प्यार, पहचान और अपनापन मुझें मिला है इसकी तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं कि थीं।

मैं अक्सर ही पेपरविफ़ के इंस्ट्राग्राम पेज पर होने वाली एक्टिविटी देखा करती थीं क्योंकि मैं खुद लेखन जगत में नई हूँ और अभी सीख रहीं हूं इसलिए मंच पर होने वाली प्रतियोगिता में कभी भाग नहीं लेती थी। पर एक दिन मैंने पेपरविफ़ पर होने वाली कोरोना वॉरियर्स प्रतियोगिता के बारें में पढ़ा। तब मन में विचार आया कि क्यों न मैं भी इस प्रतियोगिता में भाग लूं।

इसी सोच में 12 मार्च 2020 को मैंने अपना पहला ब्लॉग "कोरोना वॉरियर्स" के ऊपर लिखा। उस ब्लॉग को पाठकों द्वारा बहुत सराहा गया। अपने पाठकों के कमेंट पढ़कर मुझें जितनी खुशी हुई उसे शब्दों में व्यक्त करना बहुत मुश्किल है। 25 मार्च यानी ठीक आज के ही दिन इस प्रतियोगिता का परिणाम आया और जब मैंने अपना नाम विजेता लिस्ट में देखा उस खुशी को बयाँ कर पाना बहुत मुश्किल है। इसके बाद आत्मविश्वास और हौसला इतना बड़ा की मैंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। उसके बाद भी बहुत सी प्रतियोगिता में नाम आता रहा पर पहली बार की खुशी कुछ और ही थी।

एक दूसरी बार जिसकी खुशी मुझें सबसे ज्यादा हुई थीं वह था पेपरविफ़ की सीईओ वृंदा मैम के साथ मेरा लाइव सेशन। जब मुझें पेपरविफ़ की और से लाइव आने आमंत्रण मिला उस दिन मैं हवा में उड़ रहीं थी। आज भी जब कभी भी वह सेशन देखती हूं तो मन गर्व से भर उठता है और पुरानी यादें ताजा हो उठती है। वृंदा मैडम के साथ बातें करना किसी सुहाने सपने से कम न थे।तीसरी खुशी जून माह में मुझें मिली जब मुझें बुंदेलखंड भाषा का अम्बेसडर बनाया गया। अपनी भाषा को अलग स्तर पर देश और दुनिया तक पहचान दिला पाना मेरे लिये बड़े सौभाग्य की बात है। फिर आया पेपरविफ़ वार्षिक साहित्य उत्सव 2020, जिसमें मुझें मोस्ट एक्टिव राइटर का अवार्ड दिया गया। यह मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात थीं जब मैंने अपने साथ-साथ अपने परिवार का भी मान बढ़ाया। आज पेपरविफ़ की और से मिली ट्रॉफी मेरे घर की शोभा बढ़ा रहीं। इसके लिए मैं पेपरविफ़ की बहुत आभारी हूँ।

पेपरविफ़ ने हम लेखकों के लिए इतना अच्छा मंच दिया है जिसका गुणगाण कुछ शब्दों में नही किया जा सकता। सामयिक विषयों पर होने वाली प्रतियोगिताएं, लाइव सेशन में आकर अपनी कविता, कहानियां सुनाना तो कभी प्रोत्साहन राशि के रूप में हमारा हौसला बढ़ाना यह सब पेपरविफ़ के अलावा कोई दूसरा मंच नहीं दे सकता। मेरे लिए सबसे बड़ी बात है कि इस मंच से जुड़ने के बाद ही मेरे लेखन के सफर को एक दिशा मिल पाई है। आज मेरी एक लेखक के रूप में पहचान है तो उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ पेपरविफ़ को ही जाता हैं। आज यहाँ मेरे बहुत से दोस्त है जिनसे बहुत गहरा रिश्ता बन चुका है। आज मैं गर्व से कहती हूं मैं पेपरविफ़ की लेखिका हूँ। तो यह थीं पेपरविफ़ के साथ मेरे सफर की कहानी। कहना तो और भी बहुत कुछ चाहती हूं पर आज बस इतना ही। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

बबिता कुशवाहा


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