लॉक डाउन अच्छा है

लॉक डाउन और प्रकृति

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 13 Apr, 2020 | 1 min read

आज देश मे लोग अपने घरों में बंद है लेकिन हमारी प्रकृति आजाद है। इंसान भले ही आज अपने घरों में घुट रहा है लेकिन प्रकृति खुल के सांस ले रही है। कहते है न सबका दिन आता है कल मनुष्यों के दिन थे आज प्रकृति के दिन है। आदमी अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति का शोषण करता ही चला गया लेकिन ईश्वर सबको बराबर नजरो से देखता है। आज ईश्वर ने एक वायरस के द्वारा लोगो को घरों में कैद करवा दिया है और प्रकृति को आजाद।

जअब सुबह अलार्म लगाने की जरूरत नही पड़ती... चिड़ियों के शोर से ही नींद खुल जाती है। वो आसमान जो कभी प्रदूषण और धुयें में नजर नही आता था आज नीला और साफ दिखाई देता है। जिन गंगा, यमुना नदियों को सरकार करोड़ों खर्च करके भी इतने सालों में न कर पाई वो लॉक डाउन ने 21 दिनों के अंदर ही कर दिखाया।

यह सच है कि कोरोना वायरस दुनिया के लिए काल बनकर आया है। बड़े बड़े शक्तिशाली देशों ने भी इसके सामने घुटने टेक दिए है। लेकिन कोरोना और संक्रमण से बचने के लिए दुनिया मे लगा लॉक डाउन प्रकृति के लिए वरदान बन गया है। आज गाड़ी, मोटर, कारखाने सब बंद है लेकिन हवा शुद्ध है। आज पक्षी, जीव-जंतु यही कामना करते है कि यह लॉक डाउन पर कभी विराम न लगे ये ऐसे ही चलता रहे और हम आजादी से सांस लेते रहे। और शायद ईश्वर ने उनकी यह पुकार सुन भी ली है तभी सरकार इस लॉक डाउन को और अधिक बढ़ाने का विचार कर रही है।

आज सभी अपने परिवार के साथ वक़्त बिता रहे है। सब डरे हुए है मुश्किल की इस घड़ी में हो सकता है लोग परिवार की अहमियत समझे और बेवजह गाड़ी लेकर बाहर न निकले। आज कोरोना से जान बचाना ही सबकी प्राथमिकता है। जब लोगो की जिंदगी पर बनी वे सब करने को तैयार हो गए। व्यक्ति के जीवन मे जो परिवर्तन 21 दिनों में आया है वो शायद लॉक डाउन खुलने के बाद भी बना रहें। पर्यावरण को बचाने के लिए लोगो को अपनी आदते बदलनी होगी। आज मुश्किल समय मे सारी दुनिया एक साथ खड़ी है एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार है तो क्या यही जज्बा और इच्छा शक्ति हम पर्यावरण को बचाने के लिए नही दिखा सकते?

घर पर रहे, स्वस्थ रहे। लेख पसन्द आये तो कॉमेंट कर प्रतिक्रिया जरूर दे साथ ही लाइक करना न भूले। धन्यवाद

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