मंज़िल

छोटी कविता

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 17 Jan, 2021 | 1 min read

ए राही, दूर बहुत है मंज़िल तेरी

अभी तो तूने बस शुरुआत करी है;

इन राहों पर चलना आसान ना होगा

हर मोड़ पर तेरे एक चुनौती खड़ी है;

करना है हर चुनौती का डट कर सामना

यही तो तेरे इम्तिहान की घड़ी है;

जरूरी नहीं हर इम्तिहान में खरा उतर पाना

पर कोशिश करते रहना जिद्द तेरी है;

इस जिद्द में साथ हैं तेरे अपने सदा

इन्होंने ही तेरे सपनों की कीमत समझी है;

पार कर सारी कठिनाइयां,

मंज़िल पर पहुँचा है तू अगर;

इतना समझ लेना हर तरक्की में तेरी,

तेरे अपने ही बस एक अनमोल कढ़ी है।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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