अभिशाप

क्या इंसानियत सच में खो चुकी है, ऐसे हादसे सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि हम आखिर किस तरह के समाज में जी रहे हैं।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 22 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems hindi poetry

आज शहर में एक ऐसा हादसा हुआ

जिसने मानवता को अभिशापित किया,

अरे ओ, खुद को बेटा कहने वाले

बेटा होने का तूने यह फर्ज अदा किया,

नौ महीने रखा जिसने कोख में

उसी को कदमों तले रौंद दिया,

पूत कपूत होते हैं सुना था सबसे

तूने इस बात को यथार्थ किया,

इंसानियत मर चुकी है कब की

इस बात का परिचय दिया,

कितने ही रिश्तों की परिभाषा

पहले ही पहचान खो चुकी थी,

तूने एक ओर अमूल्य रिश्ते

की धरोहर को तार-तार किया,

कहते हैं औलाद से बढ़कर

कुछ ना होता एक माँ के लिये,

तूने तो उसके माँ होने के

स्वाभिमान को भी लज्जित किया,

क्यों मनाई जाती हैं खुशियाँ

क्यों बजाए जाते हैं थाल

एक बेटे की पैदाइश पर,

तुझसे भली तो होती हैं बेटियाँ

जो निभाती हैं ढेरों रिश्ते

फिर भी देती हैं हर कदम पर

अपने माता-पिता का साथ।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)


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