आत्मनिर्भर और सशक्त भारत

राहुल जो एक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी में विदेश में जाॅब करता था।अभी छुट्टियों पर अपने घर भारत आया हुआ था। उसका मन अपने साथ जाॅब करने वाली नेहा से मिलने का करता था ,जिसे वो दिलों ही दिल चाहने लगा था। मगर नेहा का मन विदेश में नहीं लगता था ।इसलिए वह जाॅब छोड़कर भारत आ गई थी । राहुल उससे मिलने पहुँचता है तो देखता है कितने स्मार्ट दिखने वाली नेहा सब्जियों और फलों से घिरी बैठी है। राहुल को देखकर नेहा खुश हो जाती है। वो उसे अंदर आने का इशारा करती है और बैठने को कहती है। थोड़ी ही देर में अपना काम वर्क़र को समझा कर राहुल से मिलने आ जाती है। राहुल-नेहा तुम जाॅब छोड़कर क्यों आ गई?तुम तो कितनी प्रतिभाशाली व योग्य थी,तुम्हें उसी साल पुरस्कार भी मिला था। नेहा-राहुल मेरा आना जरूरी था।मेरे को मेरे दादा-दादी ने पाल-पोस कर बड़ा किया ।जब उन्हें मेरी जरूरत थी ।तो मैं उन्हें अकेला कैसे छोड़ दूँ,इसलिए वापस आ गई। और तुम सुनाओ ,कैसे हो? राहुल -मैं ठीक हूँ ।मेरा एक विदेशी दोस्त भारत में अपना काम डालना चाहता है।मैं भी उसके साथ काम करूंगा । राहुल-मगर तुम ये सब्जी और फल ? ये सब क्या है? नेहा बताती है -मेरे दादाजी ने अस्वस्थता के कारण अपने खेत दूसरों की देख-रेख में दे दिये थे।जिससे आय कम होती थी।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। सोचा खाली बैठी हूँ ।जाकर जायजा लिया जायें ।तो देखा खेती तो खूब अच्छी हो रही है।मगर हमें कोई न कोई नुकसान बताकर रूपये कम देते थे। मैंने इस बारे में दादाजी से बात की।तो उन्होंने कहा,"बेटा कौन करेगा।" तब मैंने कहा मैं करूँगी ।और फिर जैविक खेती की शुरुआत की ।शुरुआत मैं थोड़ी दिक्कत हुई।फिर सब सीख गई।अब मेरा ही खेत ,मेरा ब्रांड और मेरी मुद्रा मेरे देश में है। राहुल तुम 'मेक इन इंडिया' की बात करते हो ।और मैं 'मेड इन इंडिया' को महत्व देती हूँ । प्रीती गुप्ता

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Preeti Gupta
Preeti Gupta 25 Aug, 2020 | 1 min read


राहुल जो एक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी में विदेश में जाब करता था।अभी छुट्टियों पर अपने घर भारत आया था। उसका मन अपने साथ जाब करने वाली नेहा से मिलने का करता था, जिसे वह दिलों ही दिल चाहने लगी थी। लेकिन नेहा का मन विदेश में नहीं लगता था ।इसलिए वह जाब को छोड़कर भारत आ गया था। राहुल उससे मिलने पहुंचता है तो देखता है कि कितनी स्मार्ट दिखने वाली नेहा सब्जियों और फलों से घिरी बैठी है। राहुल को देखकर नेहा खुश हो जाती है। वह उसे अंदर आने का इशारा करता है और बैठने को कहती है। थोड़ी ही देर में अपना काम वर्क़र को समझा कर राहुल से मिलने आ जाता है। राहुल-नेहा आप जाब को छोड़कर क्यों आ गए? आप तो जितने व योग्य थे, आपको उसी वर्ष प्रतिष्ठित भी मिला था। नेहा-राहुल मेरा आना जरूरी था।मेरे को मेरे दादा-दादी ने पाल-पोस कर बड़ा किया।जाब उन्हें मेरी ज़रूरत थी ।तो मैं उन्हें अकेला छोड़ दूँ, इसलिए वापस आ गया। और सुनाओ, कैसे हो? राहुल -मनर ठीक हूँ ।मेरा एक विदेशी दोस्त भारत में अपना काम डालना चाहता है। साथ ही उसके साथ काम करूँगा। राहुल-मगर तुम ये सब्जी और फल? ये सब क्या है? नेहा बताती है -मेरे दादाजी ने अस्वस्थता के कारण अपने खेत दूसरों की देख-रेख में देस थे।जिससे आय कम होती थी।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। सोचा खाली बैठी हूँ ।जाकर जायजा लिया जायें ।तो देखा खेती तो खूब अच्छी हो रही है।मगर हमें कोई न कोई नुकसान बताकर रुपया कम देते थे। मैंने इस बारे में दादाजी से बात की.तो उन्होंने कहा, "बेटा कौन करेगा।" तब मैंने कहा मैं करूँगी। और फिर जैविक खेती की शुरुआत की .शुरुआत मैं थोड़ी परेशानी हुई।फ़िर सब सीखा गया।अब मेरा ही खेत, मेरा ब्रांड और मेरी मुद्रा मेरे देश में है। राहुल तुम 'मेक इन इंडिया' की बात करते हो। और मैं 'मेड इन इंडिया' को महत्व देता हूं। प्रीति गुप्ता हूँ महत्व रखता है। प्रीति गुप्ता


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