"तुम हाथ बढ़ाना"

जब किसी को मदद की जरूरत हो उसकी मदद जरूर करना। वह मदद माँग ना पाये तब भी आगे बढ़कर उसे गले लगाने जरूर आना।

Originally published in hi
Reactions 2
755
Charu Chauhan
Charu Chauhan 04 Jan, 2021 | 0 mins read
be humble friend kindness help

एक सखी बैठी है थकी हारी,

देखती है आसमान को...

कभी पथरीली राहों में बिखरी कंकर को,

आस लगाए कोई उसे एक नजर भर देखे....

तब खा़रजा़र से उसे निकालने को

सखी...तुम हाथ बढ़ाना ।


बैठी है निर्जन में उसे थोड़ा पानी पिलाना,

जब टूटने लगे उसका हौंसला,

तहसीन के लिए तुम सामने आना,

सखी तुम हाथ बढ़ाना...


आँखों के आंसू जब उसकी आँचल में सिमटे,

दामन बार बार सीने से ढलके

झूठ, कपट के जिरह से ऊपर उठकर,

तुम उसको गले लगाना,

सखी तुम हाथ बढ़ाना।


साँसे जब उसकी टूटने लगे,

आँखों का उजियारा तम में बदलने लगे,

उसमे जान फूंकने को....

तुम भी हाड़ मांस जलाना,

सखी... तुम हाथ बढ़ाना ।।


© चारु चौहान


2 likes

Published By

Charu Chauhan

Poetry_by_charu

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.